बिना हरि कृपा के कुछ भी सम्भव नही
सन्तो की महिमा न्यारी अद्भुत जीवन परिचय
गागलहेड़ी में पहुचे जो ऋषिकेश व मथुरा की यात्रा पर है जो कि जिला होशंगाबाद ग्राम माछा के नर्मदा किनारे प्राचीन राम मंदिर आश्रम पर जगतगुरु रामनन्दाचार्य जी महाराज के “रामानन्द सम्प्रदाय” से
ब्रह्मलीन सन्त श्रीश्री 1008 महन्त बाबा किशोर दास त्यागी जी महाराज के कृपापात्र शिष्य सन्त श्रीश्री 1008 ईश्वर दास त्यागी जी महाराज जिन्होंने बचपन से साधु बनकर अपनी पूरी जिंदगी भक्ति में ही गुजार दी सन्यास लेने के बाद से कितने कठोर भक्ति, व तप, किये जो हर किसी के लिए सम्भव नही है।
नर्मदा किनारे आश्रम पर रहने के बारे बताया कि सन1986 से 1991 तक 5 साल में नर्मदा मईया की पैदल परिक्रमा जो की अमरकंटक मध्यप्रदेश से लेकर अरब सागर तक दोनों तटों की पैदल परिक्रमा की, तब से अब तक उसी नर्मदा क्षेत्र में अपना डेरा जमाए हुए है जो कि राम मंदिर एकांत ओर शान्त स्थान है और गर्मी, सर्दी, बरसात तीनो मौसम में चाहे कैसी भी परिस्तिथिति हो दिन में तीन बार नर्मदा में स्नान करते है।
ऐसी महान विभूति जो 22 साल से लगातार धुनि ताप कर अग्नि तपस्या कर रहे। ये अग्नि तपस्या साल में सिर्फ 4 माह तक ही कि जाती है जो कि बसन्त पंचमी से आरम्भ होकर गंगा दशहरे तक होती है और विशाल यज्ञ जिसमे दूर दराज से काफी संख्या साधु महात्मा पधारते है जिसमे रामायण पाठ, भगवत कथा का पाठ भी कराया जाता है ओर भंडारे व सन्तो को विदाई एवम सम्मान देने के साथ सम्पन्न होती है, जिसमे पूरे क्षेत्र के लोग भी प्रतिभाग व सहयोग करते है।
सन्त श्री ईश्वर दास त्यागी जी ने बताया कि बचपन से मोह माया का त्याग करने के साथ साथ सांसारिक सभी आरामदेह वस्तुओं, का परित्याग कर एक त्यागी महात्मा बने सन्यास लेने के बाद कभी सिले हुए वस्त्र नही पहने, अपने हाथ से बनाया भोजन दिन में एक समय ही पाते है। कभी किसी स्त्री के हाथ का बना भोजन नही पाते।
जिनका एक विशाल आश्रम नर्मदा खण्ड के जिला होशंगाबाद, तहसील सुहागपुर अंतर्गत ग्राम माछा में नर्मदा किनारे प्राचीन राम मंदिर पर है बताते है कि वन गमन के समय भगवान रामजी उस स्थान पर पधारे थे जिसे राम घाट के नाम से जाना जाता है जहाँ पर दुनियाभर से सन्त महात्मा नर्मदा मैया की परिक्रमा के लिये आते है, उनके रहने से लेकर खानपान की व्यवस्था आश्रम से क्षेत्र वासियो के सहयोग से की जाती है।
ये स्थान नर्मदा परिक्रमा मार्ग पर स्थित है जो कि एक अद्भुत स्थान है नर्मदा मैया के दर्शन जो मुक्ति देने वाला स्थान कहा जाता है।
श्री ईश्वर दास त्यागी जी महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि 17जुलाई 1992 को हरिद्वार से 57 साधु सन्त भारत भर्मण पर निकले थे अप्रैल 1998 तक 6 साल में 40000 किलो मीटर की हरिद्वार कुम्भ तक पैदल भारत भर्मण कर यात्रा पूरी की जिसमे वापसी तक मात्र केवल 7 साधु ही रह गए थे, जिन्होने की बताया भारत भर्मण के दौरान 4 धाम यात्रा 12 ज्योति लिंग, सातपूरी, 84 अड्डे, हिमालय से कन्या कुमारी तक, एवम वैष्णव देवी की पैदल सफल यात्रा की है ।
सन 1999 मे मानसरोवर की यात्रा पर पैदल जत्था निकला था जिसमे 70 साधु यात्रा के लिए गए थे उनमें से कुछ साधु हवाई यात्रा से गये ओर बाकी हम सभी पैदल यात्रा करते हुए नेपाल के रास्ते परमिशन लेकर चीन में स्तिथ कैलाश मानसरोवर की कठिन परिस्तिथियों में कठिन रास्तो बर्फीली पहाड़ी से होते हुए अपनी यात्रा पूर्ण की।
त्यागी जी महाराज ने बताया कि नर्मदा यात्रा के दौरान से इसी क्षेत्र में इसी राम मंदिर पर रहे और वही पर अपना आश्रम बनाया जहाँ पूजा, पाठ, हवन, पुजन जो नित्य कर्म के अनुसार में चल रहा है इसके अलावा भी भारत वर्ष के विभिन्न अत्यंत दुर्लभ स्थानों की यात्रा कर दर्शन प्राप्त कर चुके है। इन्होंने अपने जीवन काल मे एक एक माह के 4 बार चंद्ररायण व्रत भी किये जो बड़े कठिन है ओर अब मध्य प्रदेश से गागलहेड़ी के रास्ते ऋषिकेश यात्रा करके मथुरा के लिए गए बिना हरि कृपा के कोई कार्य सम्भव नही।
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