सन्नी गर्ग
विधुत लाइन के नीचे लगा हुआ था सर्कस समाचार का संज्ञान लेकर प्रशासन ने लगाई फटकार,ठेकेदार ने आनन-फानन में हटवाया सर्कस
कैराना। मेले में फैली अव्यवस्थाओं पर आधारित समाचार प्रकाशित होने पर प्रशासन हरकत में आ गया है। विधुत लाइन के नीचे लगे सर्कस को आनन फानन में हटवाया। मेला संचालकों में मचा हुआ है हड़कंप।
प्रशासनिक मेले की आड़ में लगाये जा रहे अवैध मेले में अनियमितताओं पर आधारित समाचार प्रमुखता के साथ प्रकाशित होने पर आखिरकार प्रशासन हरकत में आ ही गया है। आनन-फानन में विधुत लाइन के नीचे लगे सर्कस को हटवा दिया गया है,जिसके बाद मेला संचालको में हड़कंप मचा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि आज विधुत विभाग के साथ-साथ एलआईयू व अन्य विभागों के अधिकारियों ने मेले स्थल का निरीक्षण किया और ठेकेदार को फटकार लगाते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। बताया जाता है कि बिना अनुमति व मनमानी चलते संचालित किए जा रहे इस मेले में कई विभागों की और से अनुमति नही मिली है,फिर भी सांठ-गांठ के चलते मेले का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। सवाल यह उठता है कि जब परमीशन की अनुमति ही नहीँ दी गई तो फिर मेले का संचालन किसके इशारे पर हो रहा। कौन पर्दे के पीछे जनता के जीवन से खिलवाड़ करा रहा है। अगर घटना हुई तो ज़िम्मेदार कौन होगा? पूरे मेले स्थल में ठेकेदार द्वारा अस्थाई विधुत लाईन खींची गई है। विधुत लाइन के इस जाल से अगर भूल से कोई चिंगारी निकलती है तो बड़ी जनहानि हो सकती है,क्योंकि अपर्याप्त जगह होने के चलते बिना अनुमति के झूलों के बिल्कुल नज़दीक यूं कहें कि उससे टच होकर यह अस्थाई लाइन जा रही है,जिसमें रात्रि के समय भारी भीड़ मौजूद होती है। कभी भी ठेकेदार की करनी का खमियाजा जनता को भुगतना पड़ सकता है।
एफएसओ की नहीँ मिली अनुमति
बिना एफएसओ की अनुमति के मेले का संचालन कीसी बड़ी घटना को दावत देने के समान है,क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण विभाग है,जो पूरी जांच पड़ताल व निरीक्षण के बाद ही अनुमति प्रदान करता है। साथ ही अग्निशमन दल की टीम भी मौके पर मौजूद रहती है,जो किसी भी समय अप्रिय घटना घटित होने पर तुरंत एक्शन लेती है,लेकिन यहां तो सिरे से ही अग्निशमन ने अनुमति को ख़रीजनकर दिया है। सूत्र बताते हैं कि एफएसओ के यहां से परमीशन को यह कहकर वापिस कर दिया गया है कि बड़े झूले लगाने के लिए यह स्थान अपर्याप्त है,ज़िस कारण अनुमति नहीँ दी जा सकती है। फिर भी मेले का संचालन किया जा रहा है। आखिर क्यों ?क्या मेला संचालक/ठेकेदार को किसी बड़ी घटना का इंतज़ार है ?
थॉर झूले में जा सकती है जान, प्रशासन क्यों बना अनजान
नियम क़ानून ताक़ पर रखकर मेला संचालक अपनी हठधर्मिता पर अडिग है और गुमराह कर बिना अनुमति के मेले का संचालन जारी है। इसी के बीच मेले में लगा थॉर झूला जान का खतरा बताया जा रहा है,जिसमें जान जाने का भी खतरा बना हुआ है। सूत्र बताते हैं कि इस झूले में लोगों की सांसें अटक जाती है,जिसमें कभी भी घटना भयानक रूप ले सकती है। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि रात्रि के समय इसी झूले में घटना होने से बाल-बाल बच गई,लेकिन यक युवक का मोबाइल फोन झूले की भेंट चढ़ गया।
कब रुकेगा दुलन्दरों से वसूली का खेल
मेले में अपनी छोटी दुकान लगाकर अपने बच्चों का पेट भरने वाले गरीब दुकानदारों से मेला संचालक के दम पर उसके गुर्गे दबंगई के बल पर अवैध वसूली करने में लगे हुए हैं। दस फुट जगह के 10 से बारह हजार वसूले जा रहे हैं और न देने पर गरीब दुकानदारों के साथ अभद्रता तक की जा रही है। नाम न छपाने की शर्त एक रेहड़ी ठेली लगाने वाले युवक ने रोते हुए अपना दर्द बयां किया तो सुनकर किसी का भी दिल पसीज जाएगा, लेकिन ठेकेदार के बेरहम गुर्गों का दिल नहीँ पसीजा और दबंगई के दम पर उससे भी 500 रूपये की वसूली की गई और न देने पर ठेली पलटने और यहां चले जाने के फरमान सुना दिया गया। क्या इस अवैध वसूली पर प्रतिबंध लग पायेगा ?
ठेकेदार के दावों में कितनी सत्यता
मेला संचालक सीना तानकर परमीशन की बात करता है,तो वहीं सूत्रों से मिली जानकारी इसके बिल्कुल विपरीत है। बताया जाता है कि अनुमति के नाम पर मात्र खनापूर्ती की जा रही है। ठेकेदार द्वारा किये जा रहे दावे खोखले हैं,सत्यता इसके विपरीत है। खनापूर्ती का यह खेल किसके इशारे पर खेला जा रहा है।
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