सन्नी गर्ग
कैराना। शासन के निर्देश पर पब्लकि इंटर कॉलेज में लग रहे दीपावली महोत्सव मेला जहां नागरिकों का मन मोह रहा है वहीं इस मेले की आड़ में लग रहे दूसरे मेले में अव्यवस्थाओं का बोल बाला है। मेले के ऊपर से गुज़र रही हाईटेंशन विधुत लाइन से कभी भी बड़ी घटना घटित हो सकती है।शासन के निर्देश पर पानीपत खटीमा राजमार्ग पर स्थित पब्लिक इंटर कॉलेज परिसर में लग रहा दीपावली महोत्सव मेला नागरिकों के लिए किसी उत्साह से कम नहीं है। छोटे झूलें में मासूम बच्चे झूलकर गदगद हो रहे हैं, वहीं आम जनता भी इससे प्रसन्न नज़र आ रही है। बेहतर व्यवस्थाओं के चलते हर कोई दीपावली महोत्सव मेला का आनंद ले रहा है। वहीं दूसरी और इसी मेले की आड़ में एक दूसरे मेले का भी आयोजन पास के ही एक स्थान पर किया जा रहा है, जिसमें अव्यवस्थाओं का बोल बाला है। बिना अनुमति के बड़े झूले स्थापित कर मेला संचालक नियमों की अनदेखी कर रहा है। अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि मेला स्थल पर गन्दगी के ढेर जगह जगह पड़े स्वच्छ भारत मिशन अभियान को पलीता लगा रहे हैं,जिससे बीमारी फैलने की संभावनाएं बनी हुई हैं। मेला संचालक की मनमानी के आगे नियमों का क़त्ल किया जा रहा है। आलम यह है कि मौके पर सुरक्षा का भी कोई बन्दोबस्त नही किया गया है। मेले के लिए अपर्याप्त स्थान पर बड़े झूलों को स्थापित कर घटना को न्यौता दिया गया है। अगर कोई घटना घटित हो गई तो ज़िम्मेदार कौन होगा? इतना ही नहीँ मेला स्थल पर बीचों बीच खेंची गई अस्थाई विधुत लाईन में जगह-जगह कट है,जो किसी भी समय हादसे का सबब बन सकते हैं। इस तरफ कोई ध्यान नहीँ दिया गया है,जबकि मेला संचालक का कथन है कि उनके पास सभी परमीशन उपलब्ध हैं। अब देखना यह है कि अपर्याप्त स्थान पर बड़े झूले लगाने व हाईटेंशन विधुत लाइन के नीचे मेला लगाने की अनुमति किस विभाग से ली गई है और उपरोक्त विभाग ने किस आधार पर अपनी आख्या प्रस्तुत कर अनुमति प्रदान की है।यह तो जांच का विषय है,लेकिन इतना ज़रूर है कि अगर बिना जांच किये संबंधित विभाग ने परमीशन दी है तो खुले तौर पर यह जनता के जीवन से खिलवाड़ है,क्योंकि मेला स्थल के ऊपर से दो-दो हाईटेंशन विधुत लाइनें गुज़र रही हैं, जो कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकती हैं। ऐसी स्थिति में मेला लगाने की अनुमति देना समझ से परे है।
मेला संचालक की लूट खसौट से दुकानदार परेशान
प्रशासनिक मेले की आड़ में मेला संचालक खूब चांदी काट रहा है। मेले में जहां अव्यवस्थाओं का बोलबाला है, वहीं संचालक की मनमानी व दबंगई के चलते मेला स्थल पर खेल खिलौने आदि की दुकान लगाने वाले दुकानदारों से किराये के नाम पर मोटी धनराशि उतारी गई है। दस दस फुट में अपनी दुकानें लगाने वाले लोगों से दस से बारह हजार रुपये बतौर किराया वसूल किये गए हैं,जो ठेकेदार की खुली लूट खसौट का प्रमाण है। इतना ही नहीं कुछ दुकानदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 10 फुट की जगह पर दुकान लगाने के लिए दस हज़ार रुपये देने पड़ रहे हैं, साथ ही प्रत्येक दुकान पर एक एलईडी बल्ब जलाने के लिए अलग से डेढ़ सौ रूपये की पर्ची कटवानी पड़ रही है। यह लूट खसौत नहीं तो क्या है। वसूली के पैसे न देने पर रेहड़ी ठेली व दुकानदार को ठेकेदार के क्रोध का सामना भी करना पड़ता है।
मेला स्थल पर नहीं है अग्निशमन दल की टीम
मेला स्थल पर कोई भी अप्रिय घटना हो जाये तो बड़ी समस्या पैदा हो सकती है,क्योंकि मौके पर अग्निशमन दल की टीम तक मौजूद नहीँ है,जिसका सीधा मतलब यह है कि संचालक द्वारा अग्निशमन दल से भी कोई अनुमति नहीं ली गई है। अगर अनुमति ली भी गई है तो फिर अग्निशमन दल की टीम यहां मौजूद क्यों नहीं है। कारण यही है कि अनुमति के नाम पर मात्र खनापूर्ती होती दिख रही है,जबकि ज़मीनी स्तर पर कुछ और ही नज़र आ रहा है।
बिना अनुमति के तोड़ी जा रही थी शिक्षण संस्थान की दीवार
मेला संचालक का साहस देखिए अपनी सहूलियत के लिए उसने एक शिक्षण संस्थान की दीवार में ही नक़ाब लगा दिया था,जिसके बाद कॉलिज प्रशासन हरकत में आया और संबंधित ठेकेदार के खिलाफ बाकायदा तहरीर दी गई। कड़ी फटकार के बाद मेला संचालक के होश ठिकाने आये और आनन -फानन में दीवार का निर्माण कराया गया। ठेकेदार द्वारा कॉलेज की दीवार तोड़कर अपने आने जाने के लिए रास्ता हमवार किया जा रहा था। बताया जाता है कि उपरोक्त संचालक प्रशासनिक मेले से अपने निजी मेले में जाने के लिए इस शॉर्टकट रास्ते का इस्तेमाल करना चाहता था,लेकिन कॉलेज प्रशासन की सख्ती व संबंधित अधिकारियों की कड़ी फटकार के बाद उसके होश ठिकाने आये और उसने क्षतिग्रस्त दीवार को तुरंत सही करा दिया।
मेले का समय बढ़वाने की फिराक में है ठेकेदार
शासन के निर्देश पर लगे दीपावली महोत्सव मेला का समय 4 नवम्बर तक निर्धारित है। इसी मेले की आड़ में अपना निजी मेला लगाने वाला ठेकेदार समय बढ़वाने के लिए जुस्तजू में लगा हुआ है। जिसके लिए उसने एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है। सूत्र बताते है कि मेले में लगने वाली दुकानों के मालिकों से भी पन्द्रह दिन मेला चलने का बहाना बनाकर पैसा वसूला गया है। मतलब यह है कि ठेकेदार की मंशा है कि सांठ-गांठ करके मेले का संचालन 15 नवम्बर तक किया जाए। अब देखना यह है कि स्थानीय प्रशासन मेला ठेकेदार को चार नवम्बर के बाद मेले का संचालन करने की अनुमति देता है या फिर निर्धारित समय सीमा के अंदर ही मेले को समाप्त करा देगा। यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
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