
कैराना में धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं अवैध कोचिंग सेंटर
रिपोर्ट-सन्नी गर्गकैराना। बेरोजगारी के दौर में ट्यूशनखोरी का धंधा खूब फलफूल रहा हैं।नगर व ग्रमीण क्षेत्र में बिना मान्यता के धड़ल्ले से संचालित हो रहे है कोचिंग सेंटर।लेकिन विभाग इन अवैध कोचिंग सेंटरों पर कार्यवाही करने से कतरा रहा हैं।बेरोजगारी के अलावा सरकारी व प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक भी धड़ल्ले से अपने घरों में कोचिंग सेंटरों का संचालन कर रहे हैं।लेकिन विभाग ने आज तक उसने खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की हैं।
कैराना नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में गली-मोहल्लों में अवैध कोचिंग सेंटरों की भर मार हैं।कोचिंग सेंटरों का कारोबार खुलेआम धड़ल्ले से चलाया जा रहा हैं।लेकिन विभाग इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहा हैं।इतना ही नहीं सरकारी व प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक भी जमकर ट्यूशनखोरी कर रहे हैं।लेकिन विभाग ने आज तक एक भी कोचिंग सेंटर या शिक्षक के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की हैं।जिसके चलते अवैध कोचिंग सेंटरों का धंधा बेरोकटोक जारी हैं।सूत्र बताते हैं कि विभाग की मिलीभगत के कारण इन अवैध कोचिंग सेंटरों पर कार्यवाही नहीं होती हैं।वही कैराना नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में कुल पाँच कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण है।जबकि कैराना क्षेत्र में काफी संख्या में अवैध कोचिंग सेंटर चलाए जा रहे हैं।
- क्या हैं नियम?
कोचिंग सेंटरों के संचालन के लिये डीआईओएस कार्यालय से मंजूरी लेनी होती हैं।इसके लिये छात्रों की संख्या के आधार पर शुल्क निर्धारित हैं और हर साल अनुमति का नवीनीकरण भी करवाना पड़ता हैं। - क्या हैं कार्यवाही का नियम?
बिना पंजीकरण के कोचिंग सेंटर का संचालन पूरी तरह अवैध हैं।इस तरह के कोचिंग सेंटर संचालकों के खिलाफ विभाग एफआईआर दर्ज करवा सकता हैं।इसके अलावा सरकारी स्कूलों के शिक्षकों द्वारा ट्यूशन पढ़ाना प्रतिबंधित हैं।इसके खिलाफ भी विभाग कार्यवाही के अलावा एफआईआर भी दर्ज कराई जा सकती हैं। - क्या कहा इन्होंने?
सभी मानकों की जांच कराई जाएगी अगर खामियां पाई जाती हैं तो कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। - स्वप्निल कुमार यादव एसडीएम कैराना
- क्या कहते हैं विभाग के अधिकारी?
कैराना नगर व ग्रामीण क्षेत्र में कुल पाँच कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण हैं। जिनमें से दो गांव में है और तीन नगर में हैं। उन्होंने बताया कि कोचिंग सेंटर का पंजीकरण 3 साल के लिए होता है।शिक्षकों द्वारा कोचिंग सेंटर के छात्रों की संख्या बताई जाती है उसके आधार पर शुल्क सरकारी खजाने में जमा कराया जाता हैं।अगर हमें पता लग जाए की कोचिंग सेंटर बिना पंजीकरण के चलाए जा रहे हैं तो उनके विरुद्ध धोखाधड़ी की कार्रवाई की जाएगी
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